>
MSP

MSP : सरकार-किसानों के बीच एमएसपी पर फसा पेंच

दिल्ली-हरियाणा बॉर्डर पर किसानों ने बीते 13 फरवरी से आंदोलन किया हुआ है। इस बार दिल्ली में किसानों ने अपना आंदोलन अपनी अलग-अलग मांगों को लेकर शुरू किया है। हालांकि, किसानों की मुख्य मांगों में से एक MSP पर कानून बनाने को लेकर है। लेकिन जानकारी के लिए बता दें कि पंजाब में मुख्य फसल गेहूं और धान है।

जिसमें से सरकारी एजेंसियां पहले से 97 फीसदी धान और 80 फीसदी गेहूं MSP पर सरकार द्वारा खरीदा जा रहा है। बता दें की पंजाब में धान की सबसे उत्तम किस्म बासमती की मुंह मांगी कीमत किसान ले रहे हैं। ऐसे में कृषि जानकार बताते हैं कि पंजाब के किसान तो पहले से MSP का फायदा ले रहे हैं। यही कारण है कि मेघालय के बाद पंजाब के किसान दूसरे बड़े अमीर हैं।

MSP
सरकार-किसानों के बीच एमएसपी पर फसा पेंच

सरकारी रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 6 फीसदी को एमएसपी मिलता है, 94 को नहीं मिलता है। इन 6 फीसदी किसानों में ज्यादातर पंजाब और हरियाणा के किसान हैं। पंजाब में उपजाए गए लगभग 97 प्रतिशत धान और लगभग 75-80 फीसदी गेहूं को सरकार द्वारा खरीदा जाता है। वहीं दूसरी तरफ बिहार में 1 प्रतिशत और यूपी में 7 फीसदी से कम धान और गेहूं की सरकारी खरीद होती है।

राजस्थान सरकार द्वारा 4 फीसदी के आसपास गेहूं खरीदा जाता है। आंकड़ों के मुताबिक, 344.86 लाख मीट्रिक टन धान के बदले केंद्र सरकार ने अलग अलग राज्यों के लगभग 35 लाख किसानों को 65.111 करोड़ रुपये का भुगतान किया। इस 35 लाख किसानों में से पंजाब का योगदान 59 प्रतिशत था।

MSP
सरकार-किसानों के बीच एमएसपी पर फसा पेंच

वहीं किसान आंदोलन में शामिल पंजाब के किसान नेता सुखदेव सिंह कोकरीकलां ने एक अलग ही बात सामने रखी। उनका कहना है कि धान की खेती में पानी की खपत ज्यादा होती है, इसीलिए हरियाणा और पंजाब सरकारें अधिक पानी की खपत करने वाली धान की फसल से विविधता लाने और धान-गेहूं चक्र को तोड़ने के लिए मक्का, कपास, सूरजमुखी और मूंग जैसी फसलों की खेती को प्रोत्साहित कर रही हैं।

किसान इन फसलों को बो भी रहा है ,लेकिन इन फसलों की कीमतें सही न मिलने के कारण सरकारों की फसल विविधीकरण योजनाएं सफल नहीं हो पा रही हैं। सरकार के झांसे में आकर हम फसलें तो उगा लेते हैं लेकिन काफी कम दाम पर बाजार में बिकती है। मसलन, सूरजमुखी के बीज की खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर की जाए, जो 6,400 रुपए प्रति क्विंटल है। किसानों को खुले बाजार में 4,000 से लेकर 5,000 रुपए प्रति क्विंटल कीमत ही मिली। हमारी फसलें एमएसपी से भी कम भाव पर बिकी।

MSP : क्या है न्यूनतम समर्थन मूल्य दर?

जानकारी के लिए बता दें कि MSP का मतलब होता है कि फसल की कीमतों में उतार चढ़ाव होने पर भी किसान को होने वाले नुकसान से बचाना। दरअसल, यह एक गारंटी की तरह होती है। जिसमें फसल बोने से पहले ही फसल की कीमत तय हो जाती है। इसी के साथ यह भी तय हो जाता है कि तय कीमत से कम पर अमुक फसल नहीं बिकेगी। एमएसपी तय होने के बाद यदि फसल की कीमत बाजार में गिर भी जाती है, तो सरकार किसानों को तय एमएसपी पर ही भुगतान करेगी।

MSP : एमएसपी किन फसलों पर लगता है 

कृषि मंत्रालय खरीफ, रबी सीजन समेत अन्य सीजन की फसलों के साथ ही कमर्शियल फसलों पर एमएसपी लागू करता है। वर्तमान में देश के किसानों से खरीदी जाने वाली 23 फसलों पर एमएसपी लागू की गई है। इन 23 फसलों में से 7 अनाज ज्वार, बाजरा, धान, मक्का, गेहूं, जौ और रागी होती हैं। 5 दालें, मूंग, अरहर, चना, उड़द और मसूर होती है।

MSP
क्या है न्यूनतम समर्थन मूल्य दर

सरकार तो हर साल, सरकार विभिन्न फसलों के लिए एमएसपी की घोषणा करती है, लेकिन प्रभावी रूप से धान व गेहूं और कभी-कभी सोयाबीन जैसी केवल दो या तीन फसलें ही सरकार द्वारा घोषित कीमतों पर खरीदी जाती हैं। बाकी निजी व्यापारियों द्वारा खरीदा जाता है, जिनके पास एमएसपी या उससे ऊपर खरीदने के लिए कोई कानूनी बाध्यता नहीं है।

Rajesh Mishra
Writer at Hind Manch

राजेश मिश्रा

आप उत्तर प्रदेश के वाराणसी के रहने वाले हैं। आपने राजकीय पॉलीटेक्निक, लखनऊ से पत्रकारिता की पढ़ाई की है। आप ऐतिहासिक जगहों पर घूमना और उनके बारे में जानने और लिखने का शौक रखते हैं।

आप  THE HIND MANCH में लेखक के रूप में जुड़े हैं।

By Rajesh Mishra

राजेश मिश्रा

आप उत्तर प्रदेश के वाराणसी के रहने वाले हैं। आपने राजकीय पॉलीटेक्निक, लखनऊ से पत्रकारिता की पढ़ाई की है। आप ऐतिहासिक जगहों पर घूमना और उनके बारे में जानने और लिखने का शौक रखते हैं। आप  THE HIND MANCH में लेखक के रूप में जुड़े हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Translate »
error: Content is protected !!
  • Facebook
  • X (Twitter)
  • LinkedIn
  • More Networks
Copy link