Kisan Andolan : बैठक में सरकार और किसानों में नहीं बात
दिल्ली शंभू बॉर्डर पर Kisan Andolan के रूप में किसान अपनी मांगों को लेकर एक बार फिर सड़कों पर उतर आए हैं। Kisan Andolan में किसानों की सबसे बड़ी मांग कानून बना कर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी देने की है। लेकिन,ऐसे में अब Kisan Andolan और किसानों की मांगों को लेकर पंजाब के खनौरी और शंभू बार्डर पर किए जा रहे प्रदर्शन की अगुआई कर रहे किसान नेताओं पर सवाल उठने लगे हैं।
Kisan Andolan में शामिल किसान नेताओं द्वारा केंद्र सरकार के साथ तीन बार हुई बैठक में कोई परिणाम नहीं निकलने और इनमें पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान को शामिल करने को गलत ठहराया जा रहा है। यही नहीं Kisan Andolan में शामिल किसानों की अगुआई कर रहे नेताओं के प्रबंधन और वहां मौजूद प्रदर्शनकारियों पर नियंत्रण नहीं रख पाने का फायदा हुल्लड़बाजों द्वारा उठाने की आशंका भी जताई जा रही है।
Kisan Andolan Live: किसानों और सरकार के बीच एमएसपी और कर्जमाफी पर रुकी बात
फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) और किसानों की कर्ज माफी सहित अन्य मांगों को लेकर चंडीगढ़ में रविवार रात किसान नेताओं और केंद्र सरकार के बीच शुरू हुई चौथे दौर की वार्ता एमएसपी व कर्जमाफी की बात पर ही फंस गई। रात साढ़े 11 बजे तक उक्त दोनों मांगों पर सहमति नहीं बन पाई थी। केंद्रीय मंत्री कमेटी बनाने की बात कर रहे थे तो किसान संगठन इसके पक्ष में नहीं थे। एक किसान नेता ने स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने का मुद्दा भी उठाया।

वार्ता में केंद्रीय कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा, पीयूष गोयल व नित्यानंद राय के साथ पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान और कृषि मंत्री गुरमीत सिंह खुड्डियां भी शामिल थे। संयुक्त किसान मोर्चा (गैर राजनीतिक) मंत्री अर्जुन के जगजीत सिंह डल्लेवाल और नित्यानंद राय किसान मजदूर संघर्ष समिति मंत्री भगवंत के महासचिव सरवन सिंह पंधेर किसानों की तरफ से पक्ष रख रहे थे। क्त जानकारी के अनुसार केंद्रीय मंत्रियों 5) ने सबसे पहले शंभू बार्डर पर दिवंगत और होने वाले किसान और हरियाणा पुलिस के जवान को श्रद्धांजलि दी। उल्लेखनीय है कि आठ, 12 और 15 फरवरी को हुई बैठकें भी मंत्रियों बेनतीजा रही थीं।

भगवंत मान दिवंगत 15 फरवरी को हुई तीसरे दौर की रियाणा बैठक में भी शामिल हुए थे। उधर, दांजलि संयुक्त किसान मोर्चा (राजनीतिक) 5, 12 की बैठक लुधियाना में हुई। इसमें भारतीय किसान यूनियन (उगराहां) सहित 32 किसान संगठनों के नेता शामिल हुए। इस दौरान निर्णय लिया गया कि 20 से 22 फरवरी तक तीन दिन पंजाब के सभी भाजपा नेताओं के घरों का घेराव किया जाएगा।
भाकियू (उगराहां) ने दोपहर 12 बजे से शाम चार बजे तक पंजा के सभी टोल प्लाजा निश्शुल्क करवाए। उधर, शंभू और खनौरी बार्डर पर माहौल शांत रहा। अपनी मांगों को लेकर वहां जमे किसानों की नजर चंडीगढ़ में हो रही बैठक पर है। किसान नेता युवा प्रदर्शनकारियों को संयम बरतने की सलाह दे रहे हैं। युवाओं का कहना है कि एमएसपी पर कानूनी गारंटी से कम कुछ भी स्वीकार नहीं होगा।

किसानों की सरकार से मुख्य मांग
- सभी 23 फसलों की न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद की गारंटी।
- सभी फसलों का भाव स्वामीनाथन के अनुसार लागत से 50 प्रतिशत अधिक दिया जाए।
- किसानों पर चढ़े कर्ज को माफ किया जाए।
- किसानों के लिए 10 हजार रुपये प्रति महीने पेंशन देने की व्यवस्था लागू
- बिजली संशोधन बिल-2022 को रद किया जाए
- लखीमपुर खीरी में घायल हुए किसानों को उचित मुआवजा मिले
- लखीमपुर खीरी कांड के आरोपितों को सजा मिले।
- कृषि कानून विरोधी प्रदर्शन में जिन किसानों पर केस दर्ज हुए है, उन्हें रद्द किया जाए।
- प्रदर्शन में मृत किसानों के स्वजन को गल उचित मुआवजा मिले।
- परिवार में से किसी एक को नौकरी दी जाए।
- सभी 23 फसलों की न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद की गारंटी और किसानों की कर्जमाफी पर फंसा है पेंच
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Rajesh Mishra
राजेश मिश्रा
आप उत्तर प्रदेश के वाराणसी के रहने वाले हैं। आपने राजकीय पॉलीटेक्निक, लखनऊ से पत्रकारिता की पढ़ाई की है। आप ऐतिहासिक जगहों पर घूमना और उनके बारे में जानने और लिखने का शौक रखते हैं।
आप THE HIND MANCH में लेखक के रूप में जुड़े हैं।