Google-Meta : जानिए इससे किसको होगा फायदा और किसको होगा नुकसान
Google-Meta जैसे मंच के विरोध में विश्व के कई देशों में इसके इस्तेमाल के लिए सुरक्षा की दृष्टि से नियम व शर्तें एवं अदालतों में राजस्व साझा करने को लेकर सुनवाई की जा रही है। नियम व शर्तों को बनाने के लिहाज से इसमे कई देश जिसमें ऑस्ट्रेलिया व कनाडा मुख्य रूप से इस दिशा में बहुत आगे निकल चुके हैं। विडोडो ने इंडोनेशिया के राष्ट्रीय पत्रकारिता दिवस (national journalism day) पर नए कानून लाये जाने पर बताया कि इसके नियम अगस्त से प्रभावी और लागू होंगे।
इस नियम के लागू होने के बाद विज्ञापन राजस्व के अतिरिक्त अलग से इसका भुगतान करना होगा, मेटा और गूगल जैसे टेक धुरंधरों को अपने प्लेटफॉर्म पर समाचार सामाग्री को दिखने प्रदर्शित करने के लिए। इन प्रावधानों के जरिये पारदर्शी समझौते जैसे लाइसेंसिंग, भुगतान, डाटा साझाकरण और राजस्व साझाकरण को लेकर करने मे आसानी हो जाएगी।

इस कानून के अंतर्गत ये भी प्रावधान किए गए है जिसमे तकनीकी प्लेटफार्म सत्यापित मीडिया आउटलेट्स (Technology Platforms Verified Media Outlets) की समाचार सामग्री को मुख्य रूप से प्राथमिकता देंगे। और इसके साथ-साथ इसका योगदान पत्रकार प्रशिक्षण के कार्यक्रमों में एवं देश में अफवाहों और फर्जी खबरों के फैलने पर रोक लगाने में सहायता करेंगे।
Google-Meta : डिजिटल प्लेटफॉर्म कानून का उद्देश्य
Joko Widodo (जोको विडोडो) इंडोनेशिया के राष्ट्रपति ने बताया, इस कानून को लाने का उद्देश्य इसके प्रकाशकों की काफी समय से चली आ रही समस्याओं शिकायतों का समाधान करना है। डिजिटल प्रकाशकों (digital publishers) का कहना है कि वे उनकी सामग्री को खोज परिणामों दिखाये जाने पर उन्हे इसका कोई भी मुआवजा या लाभ नहीं मिल पता क्योंकि टेक धुरंधरों के की वजह से अपने हिस्से का राजस्व (Revenue) नहीं मिलता हैं, क्योंकि उनकी सामाग्री को बिना किसी मुआवजे के दिखाया जाता है।
लेकिन वहीं इस तरह के समाचार सामग्री का इस्तेमाल करने से टेक के महारथियों को इसका लाभ मिलता जो कि इस लाभ को उनके साथ नहीं बाटते हैं। विडोडो का कहना तह कि इस मामले में नियम बनाना काफी मशक्कत भरा और उलझा देने वाली प्रक्रिया थी, इसे लेकर खासतौर पर प्रमुख डिजिटल प्लेटफार्मों की उम्मीदें और मांगे बहोत अलग अलग थी जिसकी वजह से बीच का रास्ता निकालना बहुत मुश्किल था।
Google-Meta जैसे मंच (प्लेफॉर्म) के विरोध में विश्व के कई देशों में इसके इस्तेमाल के लिए सुरच्छा की दृष्टि से नियम व शर्तें एवं अदालतों में राजस्व (Revenue) साझा करने को लेकर सुनवाई की जा रही है। नियम व शर्तों को बनाने के लिहाज से इसमे कई देश जिसमे ऑस्ट्रेलिया व कनाडा मुख्य रूप इस दिशा में बहूत आगे निकाल चुके हैं। गूगल व फेसबुक से समाचार का भुगतान कराने के लिए नियम बनाने की प्रक्रिया जर्मनी, स्पेन और ब्रिटेन जैसे देशों में भी लगातार चल रही है।
Google-Meta : भारत मे नियम की मांग
भारत में गूगल के खिलाफ याचिका पर डीएनपीए (DNPA) डिजिटल समाचार प्रकाशकों के समूह की ओर से दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई चल रही है। उसमे डीएनपीए (DNPA) द्वारा ये मांग रखी गई है कि अदालत गूगल के खिलाफ मनमानी करने व उचित राजस्व साझा न करने और एकाधिकार (Monopoly) के आरोपों की जांच का निर्देश दे और इसके लिए ऐसी रूपरेखा तैयार करें जो उनके हित के लिए भी सुरक्षित हों।
Google-Meta : ऑस्ट्रेलिया, कनाडा के बनाए गए नियम
इस मामले में ऑस्ट्रेलिया पहला ऐसा देश है, जहां टेक प्लेटफॉर्म द्वारा सरकार की ओर से बनाए गए नियम और तय की हुई दर के अनुसार डीएनपीए (DNPA) डिजिटल समाचार प्रकाशकों के समूह को भुगतान करते हैं। डिजिटल प्लेटफॉर्म मैंडेटरी बार्गेनिंग कोड को ऑस्ट्रेलियाई संसद द्वारा फरवरी 2021 में नियमानुसार पारित किया गया।
वहीं कनाडाई संसद ने इसे लेकर जून 2023 में पास किए गए कानून के अनुसार टेक प्लेटफॉर्म को डिजिटल प्रकाशकों के साथ बातचीत कर के समझौता तय करना होगा। और अपना वैश्विक राजस्व उन्हें स्थानीय कंपनियों के साथ साझा करना होगा।
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Deepak Maurya
दीपक कुमार मौर्य
आप उत्तर प्रदेश के गंज, सारनाथ, वाराणसी के रहने वाले हैं। आपने सिक्किम मनिपाल विश्वविद्यालय दिल्ली से BCA किया है,आप टेक्नोलॉजी के बारे में जानना एक्सप्लोर करना और लिखने का शौक रखते हैं। आप HIND MANCH में Tech Writer के रूप में जुड़े हैं।