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चौ. चरण सिंहचौ. चरण सिंह

चौ. चरण सिंह देश के पूर्व प्रधानमंत्री और किसानों के मसीहा थे।

भारत एक कृषि प्रधान देश है। भारत की आधी से आबादी गांवों में रहती है और उसका मुख्य पेशा किसानी है। गांवों में रहने वाले हर व्यक्ति की आजीविका का आधार किसानी है। देश में किसान एक ऐसा वर्ग है, जिसे उसकी मेहनत का कभी भी उचित मेहनताना नहीं मिलता है।

आजादी से पहले और आजादी के बाद भी आज किसानों की हालत जस की तस बनी हुई है। आज यानी 23 दिसंबर को पूरे देश भर में “किसान दिवस” मनाया जाता है। इस दिन को किसानों के हितैषी चौ. चरण सिंह (Ch. Charan Singh) जी के जन्म दिवस के रूप में मनाया जाता है। चौ. चरण सिंह (Ch. Charan Singh) भारत के 5वें प्रधानमंत्री और किसान नेता थे।

चौ. चरण सिंह
चौ. चरण सिंह

देश को अन्न देने वाला अधिकतर किसान गरीब, कर्जदार, शोषित और सरकार की अन्य सुविधाओं से वंचित ही रहता है। इन्हीं सब समस्यओं से मुक्ति के लिए चौ. चरण सिंह ने किसानों के हक़ के लिए बीड़ा उठाया। चौ. चरण सिंह जब देश के प्रधानमंत्री बनें तो उन्होंने किसानों की दिशा और दशा दोनों बदलने का प्रयास किया। उन्होंने किसानों के मुद्दे को सिरे से उठाया। किसान परिवार से आने के कारण उन्हें किसानों की हर छोटी-बड़ी समस्या का ज्ञान था। आइए जानते हैं इस दिन का क्या है महत्व:

देश के हर थाली में अन्न पहुंचाने के लिए किसान दिन रात मेहनत करता है। किसान को हर दिन आर्थिक, सामाजिक, मानसिक और भौतिक चुनौतियों से गुजरना होता है। बिना थके-रुके किसान अपने खेतों में फसल उगाता है। किसानों के इस दर्द को चौ. चरण सिंह ने समझा और उनके लिए आवाज उठानी शुरू की। इसीलिए, चौ. चरण सिंह के जन्म दिवस पर हर वर्ष ” किसान दिवस” के रूप में मनाया जाता है।

चौ. चरण सिंह का जीवन किसानों को समर्पित

चौ. चरण सिंह (Ch. Charan Singh) ने अपनी पढ़ाई-लिखाई का भरपूर उपयोग किसानों के उद्धार के लिए किया। चौ. चरण सिंह ने राज्य और देश के महत्वपूर्ण संवैधानिक पदों को संभाला। चौ. चरण सिंह यूपी के मुख्यमंत्री, देश में कृषि मंत्री, वित्त मंत्री, उप- प्रधानमंत्री और फिर देश के प्रधानमंत्री का पद संभालते हुए, अपना जीवन हमेशा ही किसानों के हित में ही बिताया। अपने छोटे से प्रधानमंत्री के कार्यकाल में उन्होंने किसानों को अनेकों योजनाएं दी।

देश का किसान
देश का किसान

जिसपर आगे चलकर देश के किसानों की दशा और दिशा दोनों बदली। एक बार की बात है कि पीएम बनने के बाद चौ. चरण सिंह (Ch. Charan Singh) किसी गांव में किसानों की समस्या को सुनने पहुंचे थे। समस्या सुनने के बाद चौ चरण सिंह स्थानीय पुलिस स्टेशन में जाकर बैठ गए। उनको थानेदार ने भी नहीं पहचाना की सामने वाला व्यक्ति देश का प्रधानमंत्री है। ऐसे थे किसानों के मसीहा चौ. चरण सिंह, बिना किसी दिखावे और पद का अभिमान किए, जमीन से जुड़े हुए नेता

देश का किसान
देश का किसान

चौ. चरण सिंह (Ch. Charan Singh) भारत के ऐसे प्रधानमंत्री थे, जिन्होंने भारत को किसानों का देश कहा था। वर्ष 1979 से 1980 तक अपने एक वर्ष के कार्यकाल में जब चौ. चरण सिंह भारत के पीएम बनें तो उन्होंने किसानों से जुड़े कई कल्याणकारी कानून पेश किए। इन कानूनों को उन्होंने लागू करवाते हुए किसानों को राहत देने का प्रयास किया।

चौ. चरण सिंह (Ch. Charan Singh) के कार्यकाल के दौरान प्रमुख कृषि कानून

* ऋण मोचन विधेयक 1939
* कृषि उत्पादन बाजार विधेयक 1949
* जमींदारी प्रथा का अंत किया 1953
* भूमि जोत अधिनियम 1960 को समर्थन
* किसान ट्रस्ट की स्थापना 1978
* राष्ट्रीय कृषि व ग्रामीण विकास बैंक की स्थापना 1979

चौ. चरण सिंह के लाए इन कानूनों की बदौलत किसानों के जीवन में खुशहाली आई। जमींदारों और साहूकारों के कर्ज के नीचे दबे किसानों को राहत हुई। किसान ट्रस्ट बनने से किसान संगठन बने और इन्हें अपनी बातों को रखने का एक मंच मिला। बैंक की स्थापना होने से किसानों को खेती करने के लिए कम ब्याज दर पर आसानी से कर्ज मिलने लगा।

 

Rajesh Mishra
Writer at Hind Manch

राजेश मिश्रा

आप उत्तर प्रदेश के वाराणसी के रहने वाले हैं। आपने राजकीय पॉलीटेक्निक, लखनऊ से पत्रकारिता की पढ़ाई की है। आप ऐतिहासिक जगहों पर घूमना और उनके बारे में जानने और लिखने का शौक रखते हैं।

आप  THE HIND MANCH में लेखक के रूप में जुड़े हैं।

By Rajesh Mishra

राजेश मिश्रा

आप उत्तर प्रदेश के वाराणसी के रहने वाले हैं। आपने राजकीय पॉलीटेक्निक, लखनऊ से पत्रकारिता की पढ़ाई की है। आप ऐतिहासिक जगहों पर घूमना और उनके बारे में जानने और लिखने का शौक रखते हैं। आप  THE HIND MANCH में लेखक के रूप में जुड़े हैं।

3 thoughts on “चौ. चरण सिंह ने अपने कार्यकाल में लागू किए थे ये कानून, जानिए इनके बारे में”
  1. […] हैं, इसमें सर खुला रहता है। जिस समय इनके पूर्वजों ने संकल्प लिया था, उस समय खड़ाऊ होते थे। तभी से खड़ाऊ पहनने […]

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