जन-गण-मण (Jan-Gan-Man) आज ही के दिन सबसे पहले गाया गया था।
भारत के गौरवमयी इतिहास में 27 दिसंबर की तारीख का खासा महत्व है। दरअसल, आज ही के दिन भारत के राष्ट्रगान “जन-गण-मन” (Jan-Gan-Man) को गाया गया था। 27 दिसंबर 1911 को यानी आज से ठीक 111 साल पहले कलकत्ता में कांग्रेस के राष्ट्रीय अधिवेशन में सार्वजनिक मंच पर पहली बार गाया गया था।
बताते चलें कि गुरु रविंद्र नाथ टैगोर भारत के राष्ट्रगान के रचयिता और नोबल पुरस्कार विजेता भी हैं। इसे रविंद्र नाथ टैगोर की भांजी सरला ने गाया था। गुरु रविंद्र की भांजी ने यह गान तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष बिशन नारायण डार के सामने गाया था। जब यह गान गाया गया, उस समय अंबिका चरण मजूमदार और भूपेंद्र नाथ बोस जैसे नेता भी मौजूद थे। हालांकि, उस समय तक इसे राष्ट्रगान घोषित नहीं किया गया था।
रविंद्र नाथ टैगोर भारत के सबसे श्रेष्ठ कवियों में से एक है। इन्हें वर्ष 1913 में साहित्य का नोबेल पुरस्कार भी मिल चुका हैं। उन्हें यह पुरस्कार गीतांजलि के लिए मिला था। रविंद्र नाथ टैगोर नोबेल पुरस्कार जीतने वाले पहले भारतीय थे। रविंद्र नाथ एक कवि, चित्रकार, लेखक, नाटककार, संगीतज्ञ, दार्शनिक, समाज सुधारक थे।
जन-गण-मण (Jan-Gan-Man) कहां से लिया गया है
“जन-गण-मण” गुरु रविंद्र नाथ टैगोर द्वारा रचित बंगाली भजन ” भरतो भाग्य बिधाता” का पहला छंद है। इस भजन को वर्ष 1919 में आंध्र प्रदेश के बेसेंट थियोसोफिकल कॉलेज में पहली बार गाया गया, इसके बाद कॉलेज प्रबंधन ने इसे सुबह की प्रार्थना में शामिल कर लिया गया।इसके बाद बंगाली भाषा से इसका अनुवाद हिंदी और उर्दू में किया गया। सुभाष चंद्र बोस के कहने पर आबिद अली ने इसका अनुवाद दोनों भाषाओं हिंदी और उर्दू में किया गया। इसके बाद 24 जनवरी 1950 को आजाद भारत की संविधान सभा ने इसे अपना राष्ट्रगान घोषित किया था। यह हिन्द सेना का नेशनल एंथम बन गया।

जन-गण-मण (Jan-Gan-Man) कब बना भारत का राष्ट्रगान
वर्ष 1947 में जब अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर में जब संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक में जब भारत के प्रतिनिधि मंडल से भारत का राष्ट्रगान बताने को कहा गया, महासभा को ” जन-गण-मण” (Jan-Gan-Man) की रिकॉर्डिंग दी गई। इसके बाद जब जब सभी गणमान्य लोगों के सामने “जन-गण-मण” (Jan-Gan-Man) को वाद्ययंत्रों के साथ धुन पर बजाया गया, तो इसकी धुन सभी को पसंद आई। हालांकि, अभी तक भी इसे भारत का राष्ट्रगान नहीं माना गया था।

24 जनवरी 1950 को जब भारत के संविधान पर हस्ताक्षर करने के लिए सभा बैठी। इसी दौरान देश के प्रथम राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद ने आधिकारिक रूप से जन-गण-मण (Jan-Gan-Man) देश का राष्ट्रगान और “वंदे- मातरम” को राष्ट्रगीत घोषित कर दिया। आइए जानते हैं कि राष्ट्रगान जन-गण-मण (Jan-Gan-Man) कब-कब गाया जाता है:
* सिविल या सेना के किसी कार्यक्रम में
* राष्ट्रपति, राज्यों के राज्यपाल या लेफ्टीनेंट गवर्नर को सलामी देने के लिए
* परेड के दौरान
* राज्य कार्यक्रम के दौरान राष्ट्रपति के आगमन पर
* टीवी या रेडियो पर राष्ट्रपति के संबोधन से पहले और बाद में
*राष्ट्रीय ध्वज को परेड में लगाते समय
* राष्ट्रीय ध्वज को फहराते समय
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इस सब के अतिरिक्त भी कई ऐसे कार्यक्रम होते हैं, जब राष्ट्रगान जन-गण-मण (Jan-Gan-Man) बजाया जाता है। राष्ट्रगान जन-गण-मण (Jan-Gan-Man) से पूर्व एक बैंड बजाया जाता है, जिससे आस-पास के लोग सावधान की मुद्रा में खड़े हो जाए। राष्ट्रगान गाने का समय 52 सेकंड होता है। रविंद्र नाथ टैगोर भारत के सबसे श्रेष्ठ कवियों में से एक है। इन्हें वर्ष 1913 में साहित्य का नोबेल पुरस्कार भी मिल चुका हैं। उन्हें यह पुरस्कार गीतांजलि के लिए मिला था। रविंद्र नाथ टैगोर नोबेल पुरस्कार जीतने वाले पहले भारतीय थे। रविंद्र नाथ एक कवि, चित्रकार, लेखक, नाटककार, संगीतज्ञ, दार्शनिक, समाज सुधारक थे।

Rajesh Mishra
राजेश मिश्रा
आप उत्तर प्रदेश के वाराणसी के रहने वाले हैं। आपने राजकीय पॉलीटेक्निक, लखनऊ से पत्रकारिता की पढ़ाई की है। आप ऐतिहासिक जगहों पर घूमना और उनके बारे में जानने और लिखने का शौक रखते हैं।
आप THE HIND MANCH में लेखक के रूप में जुड़े हैं।