महात्मा गांधी को देश राष्ट्र पिता के रूप में मानता है।
महात्मा गांधी ने देश को आजाद कराने में अहम भूमिका निभाई थी। अहिंसा के सबसे बड़े पुजारी महात्मा गांधी ने देश में आजादी की लड़ाई को एक नई दिशा दी थी। महात्मा गांधी का मानना था कि हर एक लड़ाई का मार्ग हिंसा नहीं हो सकता, अहिंसा से भी हम बड़ी से बड़ी लड़ाई जीत सकते हैं। महात्मा गांधी के आंदोलन करने का तरीका कुछ ऐसा था, जिससे अंग्रेजों की नाक में दम कर रखा था।
ऐसे में आज यानी 30 जनवरी को महात्मा गांधी की पुण्यतिथि है। जी हां, आज ही के दिन महात्मा गांधी को गोली मार दी गई थी। दरअसल, 30 जनवरी 1948 को आजादी के बाद जब महात्मा गांधी दिल्ली के बिड़ला हाउस में प्रार्थना सभा में हिस्सा लेने जा रहे थे, तभी नाथूराम गोडसे ने उनपर गोली चला दी। गोली लगते ही महात्मा गांधी जमीन पर गिर गए। इस तरह 78 वर्ष की आयु में महात्मा गांधी ने भारत को सदा के लिए अलविदा कह दिया।
महात्मा गांधी को नाथूराम गोडसे ने मारी थी गोली
बताते चलें कि नाथूराम गोडसे भारत के विभाजन को लेकर महात्मा गांधी के विचारों से सहमत नहीं थे। जब बापू को गोली मारी गई थी तब उनके मुंह से निकले आखिर शब्द ‘हे राम’ थे। आज के दिन महात्मा गांधी की समाधि राजघाट पर भारत के राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, रक्षा मंत्री और तीनों सेनाओं के प्रमुख उन्हें श्रद्धांजलि देते हैं। सभी गणमान्य व्यक्ति भी गांधीजी को श्रद्धांजलि देते हैं और स्वतंत्रता संग्राम के दौरान उनके योगदान को याद करते हैं।

महात्मा गांधी ने अपने जीवन में हमेशा सत्य और अहिंसा को आधार बनाया। महात्मा गांधी ने भारत ही नहीं पूरी दुनिया को अहिंसा परमो धर्म: का संदेश भी दिया। महात्मा गांधी स्वतंत्रता आंदोलन से तो जुड़े ही थे, इसके साथ ही हिंदुत्व और धर्म के प्रति भी गांधी जी की गहरी आस्था थी।। महात्मा गांधी तो राम नाम को अमोघ शक्ति मानते थे।
महत्मा गांधी पढ़ने और लिखने के काफी रुचि रखते थे। महात्मा गांधी धार्मिक ग्रंथों का पाठ किया करते थे, जिसका उनके जीवन पर गहरा प्रभाव भी पड़ा। इसके साथ ही महात्मा गांधी भजन भी सुना करते थे। महात्मा गांधी का देशभर में ही नहीं विदेश में भी जबरदस्त क्रेज था। अमेरिकी पत्रकार लुई फिशर ने कहा था, ‘महात्मा गांधी बीसवीं सदी के सबसे बड़े इंसान हैं।’

ऐसा कहा जा सकता है कि एशिया में गौतम बुद्ध के बाद जिस व्यक्ति का प्रभाव पूरी दुनिया पर पड़ा। वो महात्मा गांधी ही थे। जिनके सत्य और अहिंसा वाले विचारों की क्रांति ने पूरी दुनिया में एक अलग ऊर्जा का संचार किया। महात्मा गांधी अपने समय-काल में इतने लोकप्रिय थे कि उनको लेकर हजारों मिथ गढ़े गए। आलम यह था कि लोगों ने उन्हें महात्मा से देवता तक बना दिया।
गांधी के प्रति लगभग वही आस्था और विश्वास लोगों का था, जो एक मनुष्य का अपने आराध्य के प्रति होता है। महात्मा गांधी की मृत्यु का शोक देश के हर घर में मनाया गया। महात्मा गांधी की मृत्यु के बाद देशभर में कई लोगों ने अपने सर तक मुंडवाए। इसी बात से पता चलता है कि गांधी जी के प्रति लोगों में कितनी आस्था रही होगी।

बताते चलें कि बिहार और झारखंड में महात्मा गांधी ने काफी काम किया था। जिसके कारण बिहार और उत्तर भारत के गांव-गांव में गांधी जी की मृत्यु के बाद ऐसे श्राद्ध किया गया था, जैसे उनके किसी अपने की मृत्यु हो गई हो। कितने ही लोगों के घरों में चूल्हे नहीं जले थे। यहां तक कि लोगों ने अपने सिर भी मुंडवाए। यह सामूहिक श्राद्ध लोक जीवन में गांधी के प्रति श्रद्धा, आस्था और कृतज्ञता थी। लोकनायक जयप्रकाश नारायण के गांव में हर साल गांधी मेला भी लगता था। लेकिन यह मेला 30 जनवरी को नहीं बल्कि 12 जनवरी को श्राद्ध की तिथि (जिस दिन गांधी का श्राद्ध हुआ था) पर लगता था।

Rajesh Mishra
राजेश मिश्रा
आप उत्तर प्रदेश के वाराणसी के रहने वाले हैं। आपने राजकीय पॉलीटेक्निक, लखनऊ से पत्रकारिता की पढ़ाई की है। आप ऐतिहासिक जगहों पर घूमना और उनके बारे में जानने और लिखने का शौक रखते हैं।
आप THE HIND MANCH में लेखक के रूप में जुड़े हैं।