Lok Sabha Elections 2024 : इंडिया गठबंधन UP में भी टूट की कगार पर
Lok Sabha Elections 2024 से पहले उत्तर प्रदेश की राजनीति गर्मा गई है। जहां पीएम मोदी और भारतीय जनता पार्टी आने वाले Lok Sabha Elections 2024 की तैयारी में लगी है, वहीं इंडिया गठबंधन के बीच सियासी जंग जारी है। मिली जानकारी के अनुसार, बिहार व बंगाल के बाद उत्तर प्रदेश में भी विपक्षी गठबंधन को करारा झटका लगने वाला है। Lok Sabha Elections 2024 से पहले उत्तर प्रदेश की पश्चिमी राजनीति में बड़ा खेला होने वाला है। बताते चलें कि पश्चिमी यूपी में गठबंधन की नैया रालोद के राष्ट्रीय अध्यक्ष जयंत चौधरी खींच रहे थे। वहीं अब सूत्रों के अनुसार, जयंत चौधरी भी गठबंधन की नाव से उतरने वाले हैं।
कहना गलत नहीं होगा कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जयंत चौधरी धुरी बन चुके हैं। जिनके इर्द गिर्द किसानों और पश्चिम यूपी की जनता का वोट बैंक बना हुआ है। जिसे इंडिया गठबंधन और बीजेपी अच्छी तरह से जानती है। Lok Sabha Elections 2024 से पहले जयंत चौधरी की सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के साथ उनकी नाराजगी जाहिर हो चुकी है। ऐसे में जहां रालोद की सपा से दूरियां बढ़ गई हैं। वहीं उनकी नई दोस्ती भाजपा के साथ होने जा रही है। रालोद अध्यक्ष जयन्त चौधरी की भाजपा के शीर्ष नेतृत्व से बात आगे बढ़ चुकी है।

शर्तें भी लगभग तय हो चुकी हैं। भाजपा ने रालोद को लोकसभा की दो सीटों के साथ राज्यसभा की एक सीट का प्रस्ताव दिया है। जयन्त लोकसभा की एक अतिरिक्त सीट के लिए अड़े हुए हैं। सूत्रों का दावा है कि एक-दो दिन में भारत, सबकुछ फाइनल होने के बाद घोषणा भी हो जाएगी।
Lok Sabha Elections 2024 : एनडीए में शामिल होंगे जयंत चौधरी!
राष्ट्रीय लोकदल यानी रालोद की बीजेपी से चार सीटों की उम्मीद थी। सूत्र बताते हैं कि बीजेपी इस प्रस्ताव पर तैयार नहीं है। ऐसे में बातचीत लंबी खींच रही है। उम्मीद जताई जा रही है कि बातचीत आखिरी दौर में है। जहां दोनों दलों के नेतृत्व आपसी सहमति की ओर बढ़ रहे हैं। भाजपा ने रालोद को पश्चिमी उप्र की लोकसभा की ऐसी दो सीटें देने का प्रस्ताव दिया है, जो जाट बहुल हैं।
मिली जानकारी के अनुसार, रालोद को बागपत मिलना तय हो गया है। दूसरी सीट बिजनौर या सहारनपुर हो सकती है। तीसरी सीट पर मामला अटका है। भाजपा के शीर्ष नेतृत्व विरोध की रजामंदी हुई तो तीसरी सीट संभल या अमरोहा में से कोई एक हो सकती है।

बीजेपी ने सत्ता में आने पर रालोद को एक कैबिनेट रैंक का मंत्री पद भी देने का वादा किया है। शुरुआत ने भाजपा से सहारनपुर, बागपत, बिजनौर व मथुरा की अपेक्षा की थी। नगीना, संभल व अमरोहा में किसी एक की भी मांग की गई थी। बात आगे बढ़ी, किंतु भाजपा ने इन्कार किया, तो जयन्त तीन पर ठहर गए। भाजपा ने लोकसभा की दो व राज्यसभा की एक सीट की पेशकश कर बात को विराम दे दिया। पश्चिमी उप्र की जाट बहुल दो लोकसभा सीटों के अलावा संभल व अमरोहा में किसी एक के लिए जोर लगा रहे जयन्त का तर्क है कि इन सीटों पर ‘भाजपा को पिछली बार हार गई थी, लेकिन रालोद का आधार है।

इन सभी घटनाक्रम के बाद जानकारी मिली है कि सपा और कांग्रेस भी अब जयंत चौधरी को मनाने में जुटी है। पश्चिम यूपी की बागपत, कैराना, सहारनपुर, मेरठ, बुलंदशहर, बिजनौर, नोएडा, अमरोहा, मुरादाबाद, संभल, पीलीभीत, बरेली, आगरा, मथुरा, अलीगढ़ सीटों पर जाट वोटबैंक की मात्रा ज्यादा है। इनमें अधिकतर सीटें जाट वोटर से प्रभावित हैं। तो, जाट वोटर रालोद के साथ माने जाते हैं। ऐसे में जब खबर आई कि जयंत चौधरी एनडीए में जा सकते हैं तो कांग्रेस, सपा का हाई कमान जयंत को मानने में जुट गया है।

Rajesh Mishra
राजेश मिश्रा
आप उत्तर प्रदेश के वाराणसी के रहने वाले हैं। आपने राजकीय पॉलीटेक्निक, लखनऊ से पत्रकारिता की पढ़ाई की है। आप ऐतिहासिक जगहों पर घूमना और उनके बारे में जानने और लिखने का शौक रखते हैं।
आप THE HIND MANCH में लेखक के रूप में जुड़े हैं।