नवनिर्मित राम मंदिर (Ram Mandir)में अब कुछ देर में ही में श्रीरामलला की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी।
इस पुण्य कार्यक्रम के बाद आरती के समय सेना के हेलीकॉप्टर आसमान से पुष्प वर्षा करेंगे। राम मंदिर (Ram Mandir) ट्रस्ट के अनुसार सेना के हेलीकॉप्टर राम मंदिर सहित पूरी अयोध्या नगरी में फूलों की वर्षा करेंगे। राम मंदिर (Ram Mandir) में प्राण प्रतिष्ठा में मंदिर में आरती के समय 30 कलाकार भारतीय संगीत वाद्ययंत्र बजाएंगे। राम मंदिर (Ram Mandir) में प्राण प्रतिष्ठा के कार्यक्रम में हिस्सा ले रहे सभी मेहमानों को घंटियां दी जाएंगी, जिन्हें वे आरती के दौरान बजाएंगे।
मिली जानकारी के अनुसार, आयोजन में शामिल सभी संगीतकार एक सुर में अपने वाद्ययंत्र बजाएंगे। इसी बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दोपहर करीब 12 बजे अयोध्या में नवनिर्मित श्रीराम जन्मभूमि मंदिर में श्रीरामलला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में हिस्सा लेंगे। इस ऐतिहासिक समारोह में देश के सभी प्रमुख आध्यात्मिक और धार्मिक संप्रदायों के प्रतिनिधि शामिल होंगे। समारोह में विभिन्न आदिवासी समुदायों के प्रतिनिधियों सहित सभी क्षेत्रों के लोग भी शामिल होंगे। इस अवसर पर प्रधानमंत्री इस विशिष्ट सभा को संबोधित करेंगे। ऐसे में आज का दिन बेहद ही खास है और हर हिन्दू के जीवन में एक अमिट चाप छोड़ने वाला है।
राम मंदिर (Ram Mandir) में जल्द शुरू होगा प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम
राम मंदिर (Ram Mandir) ट्रस्ट के अनुसार, दोपहर में अभिजीत मुहूर्त में प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम होगा। सामान्यतः प्राण प्रतिष्ठा समारोह में सात अधिवास होते हैं। वहीं कम से कम तीन अधिवास प्रचलन में होते हैं। अनुष्ठान का संचालन 121 आचार्य करेंगे। गणेश्वर शास्त्री द्रविड़ देखरेख करेंगे।
अनुष्ठान और प्राण प्रतिष्ठा की सभी कार्यवाही का समन्वय और निर्देशन प्रधानमंत्री मोदी, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत, उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की उपस्थिति में की जाएगी।

भारतीय अध्यात्मवाद के सभी विद्यालयों के आचार्य, धर्म, संप्रदाय, पूजा पद्धति, परंपरा, 150 से अधिक परंपराओं के संत, महामंडलेश्वर, मंडलेश्वर, श्रीमहंत, महंत, नागा, साथ ही 50 से अधिक आदिवासी, गिरिवासी, टाटावासी, द्विपवासी आदिवासी परंपराएं भव्य श्री राम जन्मभूमि मंदिर के परिसर में प्राण प्रतिष्ठा समारोह को देखने के लिए मौजूद रहेंगे।

पहाड़ों, जंगलों, तटीय बेल्टों, द्वीपों आदि के लोगों द्वारा प्रतिनिधित्व की जा रही जनजातीय परंपराओं की उपस्थिति हाल के इतिहास में पहली बार हो रही है।
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Rajesh Mishra
राजेश मिश्रा
आप उत्तर प्रदेश के वाराणसी के रहने वाले हैं। आपने राजकीय पॉलीटेक्निक, लखनऊ से पत्रकारिता की पढ़ाई की है। आप ऐतिहासिक जगहों पर घूमना और उनके बारे में जानने और लिखने का शौक रखते हैं।
आप THE HIND MANCH में लेखक के रूप में जुड़े हैं।
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